छत्तीसगढ़ी के इस कहावत का अर्थ है 'वह उतावला होकर काम करता है'. राहुल सिंह जी इसे स्पष्ट करते हैं - इस तरह कहें कि मोटरा, जिसे चोर को चुरा कर अपने साथ ले जाना है, वह स्वयं ही चोर के साथ जाने के लिए चोर से भी अधिक उत्साहित है, या इसका अर्थ 'मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त' जैसा है? संजय जी का कहना है कि पंजाबी भाषा में यह कहावत 'चोर नालों(के मुकाबले) गंड(गांठ\गठरी) काली(उतावला होना)' के रूप में प्रचलित है यानि कि चोर से ज्यादा जल्दी उस गठरी को है, जिसे चोर ले जाना चाहता है.
अब इस शब्दांश में प्रयुक्त छत्तीसगढ़ी शब्दों का अर्थ जानने का प्रयास करते हैं. इस कहावत में दो शब्द हैं जिसे समझना आवश्यक है जिसके बाद इस कहावत का अर्थ स्पष्ट हो जावेगा.
अब इस शब्दांश में प्रयुक्त छत्तीसगढ़ी शब्दों का अर्थ जानने का प्रयास करते हैं. इस कहावत में दो शब्द हैं जिसे समझना आवश्यक है जिसके बाद इस कहावत का अर्थ स्पष्ट हो जावेगा.
रमाकांत सिंह जी कहते हैं कि चोर 'चुर' धातु से बना है , * चोरयति * इतय याने यहाँ , उतय याने वहां , रीवां में बोल जाता है . उतयाइल में कोस कोस म पानी बदले , चार कोस म बानी की स्थिति बनती है , जहाँ तक मेरी जानकारी है छत्तीसगढ़ी में वचन , लिंग, संज्ञा , सर्वनाम, विशेषण , क्रिया , आदि की स्थिति स्पष्ट है किन्तु उपसर्ग प्रत्यय आदि को अलग करके बतला पाना कठिन जान पड़ता है इसका मूल शायद बोली की नैसर्गिकता है .
अन्य शब्द है 'मोटरा', यह हिन्दी शब्द मोट से बना है जिसका अर्थ है गठरी, गट्ठर. मोटरा का अर्थ भी गठरी, गट्ठर से है. छत्तीसगढ़ी में इससे संबंधित एक वाक्याशं बहुलता से प्रयुक्त होता है 'मोटरा बांधना' जिसका अर्थ है जाने की तैयारी करना, इसके अतिरिक्त संग्रह करने व सामान बांधने की क्रिया को भी 'मोटरा बांधना' कहते हैं. इस प्रकार से मोटरा का अर्थ गठरी, गटठर, बंडल, बोझ से है.
अन्य शब्द है 'मोटरा', यह हिन्दी शब्द मोट से बना है जिसका अर्थ है गठरी, गट्ठर. मोटरा का अर्थ भी गठरी, गट्ठर से है. छत्तीसगढ़ी में इससे संबंधित एक वाक्याशं बहुलता से प्रयुक्त होता है 'मोटरा बांधना' जिसका अर्थ है जाने की तैयारी करना, इसके अतिरिक्त संग्रह करने व सामान बांधने की क्रिया को भी 'मोटरा बांधना' कहते हैं. इस प्रकार से मोटरा का अर्थ गठरी, गटठर, बंडल, बोझ से है.
छत्तीसगढ़ी में 'मोटरा' से मिलता जुलता एक शब्द और है, वह है अंग्रेजी शब्द 'मोटर'. यह बस, कार, जीप, ट्रक आदि के लिये प्रयुक्त होता है.
दूसरा शब्द है 'उतियइल' या 'उतयइल', यह विशेषण है व 'उतियइ' से बना है. 'उतियइ' संस्कृत शब्द 'उत' तीव्रता व ई से बना है जिसका विश्लेषण करते हुए शब्दशास्त्री कहते हैं कि यह क्रोध, गतिमान, फेंकना, खाना का भाव अपने आप में छिपाया हुआ है. इनके अनुसार तीव्रता से चलकर किसी वस्तु को ऐसे खाना या फेंकना कि दूसरे को उसके प्रति क्रोध आ जाए. इस प्रकार से मूल अर्थ को अंगीकार करते हुए 'उतियइल' या 'उतयइल' का अर्थ उत्पाती, उपद्रवी या उतावला स्वीकार किया गया है जो व्यवहार में भी है.
इसके अर्थ के करीब के दो शब्द भी देखें, 'उत्ताधुर्रा' जिसे संस्कृत शब्द उत्तर धुरीण का अपभ्रंश माना जाता है अर्थ है अग्रणी. व्यवहार में यह जल्दी जल्दी, अत्यिधक तीव्रता के लिए प्रयुक्त होता है. 'उतेरा' खड़ी फसल वाले गीले खेत में दूसरी फसल के लिए बीज छिड़कर बोने की विधि.
इसके अर्थ के करीब के दो शब्द भी देखें, 'उत्ताधुर्रा' जिसे संस्कृत शब्द उत्तर धुरीण का अपभ्रंश माना जाता है अर्थ है अग्रणी. व्यवहार में यह जल्दी जल्दी, अत्यिधक तीव्रता के लिए प्रयुक्त होता है. 'उतेरा' खड़ी फसल वाले गीले खेत में दूसरी फसल के लिए बीज छिड़कर बोने की विधि.
छत्तीसगढ़ी में खासकर बच्चों को प्रेम से एक गाली दी जाती है 'उजबक' जिसका मतलब है 'मूर्ख'.