छत्तीसगढ़ी में कई ऐसे मजेदार शब्द हैं जिसका प्रयोग छत्तीसगढ़ के हिन्दी भाषी लोग भी कभी कभी करते हैं और उस शब्द का आनंद लेते हैं. इनमें से कुछ को इनका अर्थ पता होता है तो कुछ लोग बिना अर्थ जाने उस शब्द के उच्चारण मात्र से अपने आप को छत्तीसगढ़िया मान मजे लेते हैं. सोशल नेटवर्किंग साईटों में भी ऐसे शब्दों का बहुधा प्रयोग होते आप देख सकते हैं. ऐसे शब्दों में एक छत्तीसगढ़ी शब्द है 'अलकरहा'
'अलकरहा गोठियायेस जी!' (बेढंगा बात किया आपने) 'अलकरहा मारिस गा!' (अनपेक्षित मारा यार) 'अलकरहा हस जी तैं ह!' (बेढंगे हो जी तुम) का प्रयोग छत्तीसगढ़ी में होता है. शब्दकोश शास्त्री बतलाते हैं कि यह शब्द विशेषण हैं जो अलकर के साथ 'हा' प्रत्यय लगकर बना है. शब्दार्थ है अनपेक्षित, बेढंगा,बेतुका (Awkward, Absurd).
अब आते हैं अलकर शब्द पर क्योंकि अलकरहा इसी से बना है. शब्दकोश शास्त्री इसे संज्ञा मानते हैं और इसका प्रयोग स्त्रीलिंग की भांति करते हैं. 'अल' को अलगाव से जोड़ते हुए 'रोकना या दूर रखना' के साथ 'कर' मतलब 'पास' को मिलाकर 'अपने पास का ऐसा अंग जिसे छिपाया गया हो' से बताते हैं जिसका सीधा मतलब है शरीर का वह अंग जिसे छिपा कर रखा जाता है, गुप्तांग. सकरी जगह, नाजुक स्थान. अटपटा, दुस्सह, कष्टसाध्य, कष्टदायक, कष्ट, मुश्किल, असुविधापूर्ण. (Uncomfortable, Inconvenient, Narrow space) 'अलकर होथे जी' ( जगह सकरा हो रहा है, बैठने की जगह कम होने पर बोला जाता है) 'अलकर लागत हावय' (अटपटा लग रहा है, खासकर ज्यादा खाना खा लेने के बाद यह बोला जाता है) 'अलकर म घाव होगे' (नाजुक स्थान या गुप्तांग में घाव हुआ है).
इन दोनों शब्दों के प्रयोग के साथ एक लोकोक्ति /हाना भी है जो बहुत मजेदार है 'अलकरहा के घाव अउ ससुर के बैदी' (बहू के गुप्तांग में घाव और ससुर के वैद्य होने का कष्ट). बहु के दुख की चिंता करते हुए आप कमेंटिया दीजिए और हम अगले किसी लोकप्रिय शब्द के लिए पोस्ट ठेलने की तैयारी करते हैं.