छत्तीसगढ़ी में 'सुकुवा उवत' मतलब लगभग चार बजे सुबह, ब्रम्ह मुहूर्त, जब शुक्र तारे का क्षितिज में उदय हो। अब घडी आगे बढ़ी और 'कुकरा बासने' लगा यानी मुर्गे ने बाग दिया, लगभग पाँच बजे सुबह। इसके बाद 'मुन्धर्हा' और 'पहट ढीलात', सुबह का धुंधलका और पशुओं को चराने के लिए ले जाने का समय। मेरा अनुभव यह रहा है कि सबेरे के पहट में दूध देने वाले पशु को ग्वाले ले जाते हैं फिर उन्हें वापस कोठे में लाकर दूध दुहते हैं। इन शब्दों के साथ ही 'बेरा पंग पंगात' का उपयोग सूर्योदय के ठीक पहले के उजास के लिए होता है। छत्तीसगढ़ी में सुबह के लिए प्रयोग होने वाले शब्दों को जोड़ते हुए पिछले दिनों मैंने एक स्टैट्स अपडेट किया था। उस पर कुछ चर्चा करने के उद्देश्य से उन्हीं शब्दों को फिर से रख रहा हूँ। कहीं कुछ असमानता हो तो बतावें। बेरा बिलासपुर मे पंग पंगाते हुए..
19.06.2014