उड़ने को बेताब है यह नया मेहमान


पिछले दिनों मैंनें एक पक्षी के संबंध में एक पोस्‍ट लिखा था और उसके चित्र व वीडियो पब्लिश किया था। वह पक्षी तब छोटा था, धीरे धीरे उसका विकास होता गया और वह अब उड़ने की तैयार कर रहा है। उस पोस्‍ट के पब्लिश करने के बाद टिप्‍पणी में इंडियन विलेज़ नें कहा कि यह कोयल नहीं 'महोक' है, जबकि अभय तिवारी जी नें बज में कहा कि ' इसके भूरे पंख देखकर ऐसा लग रहा है कि कहीं यह ग्रेटर कोकल का बच्चा तो नहीं?' उन्‍होंनें आगे कहा 'आँख उनकी भी लाल ही होती है.. किन्‍तु इसकी आंख काली है, लाल नहीं है। 



अभय भाई नें आगे कहा कि यह लिंक देखें: फ्लिकर , एक सज्जन के अनुसार कोयल का बच्चे की तस्वीर यहाँ देखें: ब्‍लाग पोस्‍ट, फोटो और यहाँ: जे बर्ड्स । जो भी हो, हम इसके अभी के चित्र यहां प्रस्‍तुत कर रहे हैं, आप देखें और बतावें कि यह कौन सा पक्षी है।


साथ ही यह भी बतावें कि क्‍या हम इसे इसके प्राकृतिक वातावरण में पुन: छोड़ सकेंगें या इसे इसी तरह अपने 'कोला बारी' में शरण देना पड़ेगा, किन्‍तु यदि यह अपने प्रकृतिक वातावरण में नहीं गया तो कालोनी में कुत्‍ते व बिल्लियां इसे मार डालेंगीं। साथ ही यह मनुष्‍य से अब इतना घुल मिल गया है कि मनुष्‍य से डरता नहीं ऐसे में यदि यह किसी शरारती व्‍यक्ति के पास प्‍यार से भी आयेगा तो वह उसे नुकसान पहुचायेगा और यह चुपचाप शरद कोकास जी की कविता में लिखे भाग्‍य सा सब स्‍वीकारता जायेगा - 
कोयल चुप है 
गाँव की अमराई में कूकती है कोयल 
चुप हो जाती है अचानक कूकते हुए

कोयल की चुप्पी में आती है सुनाई 
बंजर खेतों की मिट्टी की सूखी सरसराहट 
किसी किसान की आखरी चीख 
खलिहानों के खालीपन का सन्नाटा 
चरागाहों के पीलेपन का बेबस उजाड़

बहुत देर की नहीं है यह चुप्पी फिर भी 
इसमें किसी मज़दूर के अपमान का सूनापन है 
एक आवाज़ है यातना की 
घुटन है इतिहास की गुफाओं से आती हुई

पेड़ के नीचे बैठा है एक बच्चा 
कोरी स्लेट पर लिखते हुए 
आम का “ आ “ 
वह जानता है 
अभी कुछ देर में उसका लिखा मिटा दिया जायेगा 
उसके हाथों से 
जो भाग्य के लिखे को अमिट समझता है।

- शरद कोकास


अपडेट्स : 
इस पोस्‍ट के बाद फोन, टिप्‍पणियों एवं मेल से प्राप्‍त अनुमानों के अनुसार चर्चित लेखक अभय तिवारी जी का कहना है कि यह महोक है। विज्ञान लेखक  अरविन्‍द मिश्रा जी का कहना है कि यह ब्राहिनी काईट - खेमकरी है, चर्चा में जो लक्षण मैंनें जो इस पक्षी के अरविन्‍द जी को बताये उसके अनुसार यह बाज प्रजाति के पक्षी ब्राहिनी काईट - खेमकरी से मिलते हैं। बांधवगण के प्रकृति प्रेमी, बाघ प्रेमी, वाईल्‍ड लाईफ फोटोग्राफर सत्‍येन्‍द्र तिवारी जी का कहना है कि यह कोकल है और यह अभी बाल्‍य-किशोरावस्‍था में है, इसके आंखों का रंग उम्र के साथ लाल हो जायेगी। प्ररातत्‍वविद व छत्‍तीसगढ़ के संस्‍कृति के चितेरे बड़े भाई राहुल सिंह जी का कहना है कि यह महोक (ग्रेटर कोकल) बन कुकरा है। ललित शर्मा जी के आम के पेड़ में भी यह पक्षी है पर वे इसका नाम नहीं जानते, वे चाहते हैं कि इस विमर्श से उन्‍हें भी इसके संबंध में जानकारी मिलेगी। अब हम नेट पर उपलब्‍ध महोक के कुछ लिंक व फोटो यहां लगा रहे हैं आप भी देखें -


वीकि में उपलब्‍ध पेज ग्रेटर कोकल.  चित्र - बर्डिंग डॉट इन में ग्रेटर कोकल.  


Brahminy Starling


Greater Coucal


Brahminy Kite



[youtube http://www.youtube.com/watch?v=8BZ5Clbg7jc?hl=en&fs=1]
[youtube http://www.youtube.com/watch?v=4xO341E3cBY?hl=en&fs=1] [youtube http://www.youtube.com/watch?v=rWyE41oir6I?hl=en&fs=1]

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छत्‍तीसगढ़ में शिवनाथ नदी के किनारे बसे एक छोटे से गॉंव में जन्‍म, उच्‍चतर माध्‍यमिक स्‍तर तक की पढ़ाई गॉंव से सात किलोमीटर दूर सिमगा में, बेमेतरा से 1986 में वाणिज्‍य स्‍नातक एवं दुर्ग से 1988 में वाणिज्‍य स्‍नातकोत्‍तर. प्रबंधन में डिप्‍लोमा एवं विधि स्‍नातक, हिन्‍दी में स्‍नातकोत्‍तर की पढ़ाई स्‍टील सिटी में निजी क्षेत्रों में रोजगार करते हुए अनायास हुई. अब पेशे से विधिक सलाहकार हूँ. व्‍यक्तित्‍व से ठेठ छत्‍तीसगढि़या, देश-प्रदेश की वर्तमान व्‍यवस्‍था से लगभग असंतुष्‍ट, मंच और माईक से भकुवा जाने में माहिर.

गॉंव में नदी, खेत, बगीचा, गुड़ी और खलिहानों में धमाचौकड़ी के साथ ही खदर के कुरिया में, कंडिल की रौशनी में सारिका और हंस से मेरी मॉं नें साक्षात्‍कार कराया. तब से लेखन के क्षेत्र में जो साहित्‍य के रूप में प्रतिष्ठित है उन हर्फों को पढ़नें में रूचि है. पढ़ते पढ़ते कुछ लिखना भी हो जाता है, गूगल बाबा की किरपा से 2007 से तथाकथित रूप से ब्‍लॉगर हैं जिसे साधने का प्रयास है यह ...