छत्‍तीसगढ़ में बिना हो हल्‍ला हिन्‍दी ब्‍लॉगों की बढ़ती संख्‍या

छत्‍तीसगढ़ के सक्रिय ब्‍लॉगों पर विचरण करते हुए पिछले  दिनों ब्‍लॉगर प्रोफाईलों के लोकेशन में छत्‍तीसगढ़ लिखे प्रोफाईलों की संख्‍या को देखकर हमें सुखद आश्‍चर्य हुआ। ऐसे प्रोफाईलों की संख्‍या  5317 नजर आई। वर्डप्रेस व अन्‍य ब्‍लॉग सेवाप्रदाओं के द्वारा बनाए गए ब्‍लॉगों के आकड़े हमें नहीं मिल पाये फिर भी ब्‍लॉगर में बनाए गये ब्‍लॉगों को देखते हुए यह माना जा सकता है कि लगभग इसके एक चौंथाई ब्‍लॉग तो निश्चित ही इनमें भी बनाए गए होंगें। इस प्रकार से वर्तमान में छत्‍तीसगढ़ में लगभग 6000 ब्‍लॉगर हैं। इन 6000 ब्‍लॉगर प्रोफाइलों में एक एक में कम से कम दो ब्‍लॉग तो बनाए ही गए हैं, कुछ ऐसे भी प्रोफाईल हैं जिनमें बारह-पंद्रह ब्‍लॉग हैं जो सामाग्री से भरपूर संचालित हैं। इस तरह से प्रदेश में लगभग 15-20 हजार ब्‍लॉग हैं।

ब्‍लॉगर प्रोफाईल से प्राप्‍त आंकड़ों को आनुपातिक रूप से तीन भागों में बांटा जा सकता है। एक, ऐसे ब्‍लॉगर के ब्‍लॉग जो शौकिया तौर पर बनाए गए हैं और उनमें हाय-हलो के अतिरिक्‍त कोई पोस्‍ट नहीं हैं। दसूरा, अंग्रेजी भाषा के ब्‍लॉग हैं जिनमें से अधिकतम में नियतिम या अंतरालों में पोस्‍ट लिखे जा रहे हैं। तीसरा भाग, हिन्‍दी ब्‍लॉगों का आता है जिनमें से अधिकतम में चार - पांच से अधिक पोस्‍ट हैं या वे अंतरालों से लगभग नियमित हैं। आकड़ों के अनुसार हिन्‍दी ब्‍लॉगों की संख्‍या 6000 से कम नहीं है और इनमें से लगभग 1000 ब्‍लॉगों में पांच से अधिक पोस्‍ट यूनिकोड हिन्‍दी में लिखे गए हैं।

कुछ ब्‍लॉग व्‍यावसायिक उद्देश्‍यों से भी बनाए गए हैं जो वेबसाईट की तरह संचालित किए जा रहे हैं तो कुछ ब्‍लॉग ज्‍योतिषियों, प्रमुख व्‍यक्तियों व लोक कलाकारों के प्रोफाईल की तरह भी बनाए गए हैं। व्‍यावसायिक व प्रोफाईल की तरह बनाए गए ब्‍लॉग किसी वेब/ब्‍लॉग तकनीक के जानकार के द्वारा बनाया गया लगता है। इनमें से अधिकतर ब्‍लॉगों का पंजीकरण फीड़ एग्रीगेटरों में नहीं किया गया है, देखने से यह प्रतीत होता है कि इन्‍हें फीड एग्रीगेटरों के संबंध में जानकारी नहीं है। इन ब्‍लॉगों के कमेंट में अब भी वर्ड वेरीफिकेशन लगा हुआ है और ब्‍लॉगिंग के आवश्‍यक विजेट नहीं लगे हैं जिससे यह आभास होता है कि इन्‍हें  'हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत' की जानकारी नहीं है। वे प्रिंट व नेट से आवश्‍यक जानकारी प्राप्‍त कर या स्‍वप्रेरणा से अपना ब्‍लॉग बनाकर  संतुष्‍ट हैं, उनके ब्‍लॉग में पाठक कैसे व कहां से आयेंगें इसकी जानकारी उन्‍हें नहीं है या चिंता भी उन्‍हें नहीं है।  इतनी बड़ी संख्‍या में उपस्थित ब्‍लॉगरों की फौज को ब्‍लॉग के आवश्‍यक पहलुओं से परिचित कराने की आवश्‍यकता है, इनमें से अधिकतम ब्‍लॉग जीमेल, आरकुट या ब्‍लॉगर  में उपस्थित रोमन टू हिन्‍दी सुविधा से  ही हिन्‍दी में संचालित हो रहे हैं। इन्‍हें हिन्‍दी के विभिन्‍न टूलों व आवश्‍यक ब्‍लॉग विजेटों व पुराने फोंटों से यूनिकोड में फोंट परिर्वतन की जानकारी नहीं है। इनमें से कुछ नियमित व मई व जून 2011 तक सक्रिय ब्‍लॉगों को मै पिछले दिनों हमारे जुगाड़ू फीड एग्रीगेटर छत्‍तीसगढ़ ब्‍लॉगर्स चौपाल में जोड़ा हूं । इस जुगाड़ू एग्रीगेटर में ब्‍लॉग हलचल देखने आने वाले पाठकों की संख्‍या भी दिनों दिन बढ़ रही है, अवसर मिलने पर कुछ और ब्‍लॉगों को इसमें जोडूंगा। 

ब्‍लॉगर साथी अपने पोस्‍टों की संख्‍या में वृद्धि व हिट में वृद्धि पर पोस्‍ट पर पोस्‍ट ठोंक कर अपनी मार्केटिंग करते हैं तो हमने भी सोंचा कि हमारे प्रदेश में बढ़ते ब्‍लॉग लेखकों  की संख्‍या से आपको अवगत कराता चलूं। इन आकड़ों से मुझे बेहद खुशी हो रही है, हमारे प्रदेश के लेखकों के विचारों को अब हम उनके ब्‍लॉगों के माध्‍यम से पढ़ पायेंगें । 


संजीव तिवारी

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छत्‍तीसगढ़ में शिवनाथ नदी के किनारे बसे एक छोटे से गॉंव में जन्‍म, उच्‍चतर माध्‍यमिक स्‍तर तक की पढ़ाई गॉंव से सात किलोमीटर दूर सिमगा में, बेमेतरा से 1986 में वाणिज्‍य स्‍नातक एवं दुर्ग से 1988 में वाणिज्‍य स्‍नातकोत्‍तर. प्रबंधन में डिप्‍लोमा एवं विधि स्‍नातक, हिन्‍दी में स्‍नातकोत्‍तर की पढ़ाई स्‍टील सिटी में निजी क्षेत्रों में रोजगार करते हुए अनायास हुई. अब पेशे से विधिक सलाहकार हूँ. व्‍यक्तित्‍व से ठेठ छत्‍तीसगढि़या, देश-प्रदेश की वर्तमान व्‍यवस्‍था से लगभग असंतुष्‍ट, मंच और माईक से भकुवा जाने में माहिर.

गॉंव में नदी, खेत, बगीचा, गुड़ी और खलिहानों में धमाचौकड़ी के साथ ही खदर के कुरिया में, कंडिल की रौशनी में सारिका और हंस से मेरी मॉं नें साक्षात्‍कार कराया. तब से लेखन के क्षेत्र में जो साहित्‍य के रूप में प्रतिष्ठित है उन हर्फों को पढ़नें में रूचि है. पढ़ते पढ़ते कुछ लिखना भी हो जाता है, गूगल बाबा की किरपा से 2007 से तथाकथित रूप से ब्‍लॉगर हैं जिसे साधने का प्रयास है यह ...