विगत 14 अगस्त को लोक जागरण के लिए वसुंधरा सम्मान से वरिष्ठ पत्रकार गिरजाशंकर व्यास को अलंकृत किया गया। लोक अस्मिता, ग्राम चेतना एवं शब्द सम्मान का पिछले दिनों 11वां आयोजन भिलाई के भिलाई निवास में सम्पन्न हुआ। वसुन्धरा सम्मान स्व. देवी प्रसाद चौबे की पुण्य स्मृति में दिया जाता है। इस वर्ष हुए कार्यक्रम में अतिथि के रुप में बीएसपी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पंकज गौतम, महापौर निर्मला यादव, पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति सच्चिदानंद जोशी व बख्शी सृजनपीठ के अध्यक्ष रविन्द्रनाथ मिश्र उपस्थित थे।
इस अवसर पर सम्मानित हुए वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं अपने परिवार के बीच सम्मानित होकर काफी गौरवान्वित हूं। उन्होंनें आगे कहा कि राजनीति और पत्रकारिता आज संकट के दौर से गुजर रही है। उन्होंने स्वीकारा कि पत्रकारिता को उन्होंनें सदैव एक मिशन के रुप लिया। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि समाज में ‘वॉच डॉग’ के तौर पर पत्रकारिता को माना जाता है लेकिन जरूरत इस बात की है कि राजनीति और पत्रकारिता अब खुद के ‘वॉच डॉग’ बनें। अपने अंदर झांके, तब ही समाज में हम बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं। इसके लिए मर चुकी संपादक संस्था को फिर जिंदा होना होगा।आगे उन्होंनें कहा कि आज पत्रकारिता में मूल्यों का संकट आ गया है। पत्रकारिता का बाजारीकरण हो गया है। राजनीति और पत्रकारिता दोनों संकट के दौर से गुजर रहा है।
कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय के कुलपति सचिदानन्द जोशी ने अपने आधार वक्तव्य में सोसल मिडिया पर बाते कहते हुए विशद रूप से ट्विटर व फेसबुक प्रयोग का विश्लेषण करते हुए कहा कि संदेश का प्रचार-प्रसार नेट के माध्यम दिनों दिन फैलता ही जा रहा है जो सोसल मिडिया का ही कमाल है। सोसल मिडिया प्रिंटमिडिया के लिए बड़ी चुनौती है। इस मौके पर उन्होंने सोसल मिडिया के कई उदाहरण भी दिए। फेसबुक में युवा पीढ़ी की बढ़ती दिलचस्पी एवं एक कमरे में बैठकर बाहर संसार से जुड़ने की मनोवैज्ञानिकता पर उन्होंनें प्रकाश डाला। फेसबुक या ट्विटर वाल पर लिखे अपने वाक्याशों पर कमेंट नहीं आने, लाईक नहीं किये जाने पर उपजे कुंठाओं पर भी उन्होंनें चर्चा किया। सोसल मीडिया के सहारे एक से अनेक होते विचारों और वैचारिक सहयोग से होने वाले बदलावों में उन्होनें विश्वास जताया। अपने पूरे आधार वक्तव्य को उन्होंनें सोशल मीडिया खासकर ट्विटर व फेसबुक पर ही केन्द्रित किया था। एक ब्लॉगर होने के नाते मैं उनके वक्तव्य में हिन्दी ब्लॉगगिंग के संबंध में कुछ सुनना चाह रहा था किन्तु उन्होंनें वैकल्पिक मीडिया के इस विकल्प पर एक शव्द भी नहीं बोले। सचिदानन्द जोशी जी को प्रदेश के विभिन्न कार्यक्रमों में सुनने का अवसर हमें प्राप्त होते रहा है, भविष्य में इस संबंध में उनके विचारों का इंतजार रहेगा।
संजीव तिवारी