प्रादेशिक भाषाओं के फिल्मों का अपना एक अलग महत्व होता है, क्योंकि प्रादेशिक भाषा के फिल्मों में क्षेत्रीय संस्कृति व परम्पराओं का समावेश होता है इस कारण क्षेत्रीय फिल्में क्षेत्रीय जन-मन को लुभाती है। छत्तीसगढ़ प्रदेश की भाषा छत्तीसगढ़ी में बने फिल्मों की संख्या अभी ज्यादा नहीं है किन्तु दक्षिण भारत के प्रादेशिक फिल्मों की प्रगति को देखते हुए लगता है कि छत्तीसगढ़ में भी प्रादेशिक भाषा छत्तीसगढ़ी की फिल्मों के निर्माण में अब गति आयेगी। छत्तीसगढ़ी फिल्मों के इतिहास पर विहंगावलोकन आदरणीय राहुल सिंह जी नें अपने ब्लॉग सिंहावलोकन में किया है जो अब तक के उपलब्ध स्त्रोतों का एकमात्र प्रामाणिक दस्तावेज है। राहुल भईया के इस पोस्ट के बाद एवं छत्तीसगढ़ी गीतों पर आधारित ब्लॉग 'छत्तीसगढ़ी गीत संगी' के अनाम ब्लॉगर ने छत्तीसगढ़ी की दूसरी फिल्म 'घर द्वार' के सभी गीतों को प्रस्तुत किया जिसके लिये श्री राहुल सिंह जी एवं श्री मोहम्मद जाकिर हुसैन जी का विशेष सहयोग रहा। 'छत्तीसगढ़ी गीत संगी' के ताजा पोस्ट में श्री मोहम्मद जाकिर हुसैन जी के द्वारा एतिहासिक फिल्म 'घर द्वार' के निर्माण की कहानी रोचक शैली में प्रस्तुत की गई है। छत्तीसगढ़ में रूचि रखने वाले साथियों से अनुरोध है कि 'छत्तीसगढ़ी गीत संगी' के इन पोस्टों को अवश्य पढ़ें, भाई जाकिर से हुई चर्चा के अनुसार इस ब्लॉग के आगामी पोस्टों में एक और लोकप्रिय छत्तीसगढ़ी फिल्म के गानों के साथ निर्माण की कहानी प्रस्तुत होगी।
'छत्तीसगढ़ी गीत संगी' के इस सराहनीय कार्यों को देखकर हिन्दी ब्लॉगजगत के हमारे संगी इसके माडरेटर के संबंध में जानना चाहते हैं, सभी की उत्सुकता है कि 'छत्तीसगढ़ी गीत संगी' ब्लॉग के ब्लॉगर कौन हैं। स्वाभाविक रूप से इसमें मेरी भी उत्सुकता है किन्तु इसके ब्लॉगर महोदय अनाम रहकर छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा करना चाहते हैं यह बहुत सराहनीय व अनुकरणीय कार्य है। हिन्दी ब्लॉगजगत में समय-बेसमय होते जूतामपैजार, लोकप्रिय-अतिलोकप्रिय-महालोकप्रिय व वरिष्ठ-कनिष्ट-गरिष्ठ ब्लॉगर बनने की आकांक्षाओं से परे हमारा यह अनाम भाई चुपके से दस्तावेजी पन्ने लिख रहा है इसे मेरा सलाम-प्रणाम।
संजीव तिवारी
संजीव तिवारी