रामेश्वर वैष्णव जी छत्तीसगढ के जानेमाने गीत कवि है, इन्होने हिन्दी एव छत्तीसगढी मे कई लोकप्रिय गीत लिखे है. कवि सम्मेलनों मे मधुर स्वर मे वैष्णव जी के गीतो को सुनने में अपूर्व आनन्द आता है. वैष्णव जी का जन्म 1 फरवरी 1946 को खरसिया मे हुआ था. इन्होने अंग्रेजी मे एम.ए. किया है और डाक तार विभाग से सेवानिवृत है. इनकी प्रकाशित कृतियो मे पत्थर की बस्तिया, अस्पताल बीमार है, जंगल मे मंत्री, गिरगिट के रिश्तेदार, शहर का शेर, बाल्टी भर आंसू, खुशी की नदी, नोनी बेन्दरी, छत्तीसगढी महतारी महिमा, छत्तीसगढी गीत आदि है.
मयारु भौजी, झन भूलो मा बाप ला, सच होवत सपना, गजब दिन भइ गे सहित कई छत्तीसगढी फिल्मो का इन्होने लेखन किया है. वैष्णव जी छत्तीसगढ के कई सांसकृतिक संस्थाओ से भी सम्बध है. इनकी छत्तीसगढी हास्य कविताओं के लगभग 20 कैसेट्स रिलीज हो चुके है . आज भी रामेश्वर वैष्णव जी निरंतर लेखन कर रहे है. इन्हे मध्यप्रदेश लोकनाट्य पुरस्कार, मुस्तफ़ा हुसैन अवार्ड 2001, श्रेष्ठ गीतकार अवार्ड और अनेक सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हो चुके है.
वैष्णव जी की एक छत्तीसगढी हास्य कविता का आडियो अनुवाद सहित हम यहा प्रस्तुत कर रहे है, मूल गीत गुरतुर गोठ में उपलब्ध है. भविष्य मे हम इनकी हिन्दी कविताओ को भी प्रस्तुत करेंगे -
पैरोडी - तुम तो ठहरे परदेशी साथ क्या निभाओगे (अलताफ़ राजा)
बस मे मैं कब से खडा हूँ मुझे बैठने की जगह दे दो
बस मे मैं कब से खडा हूँ मुझे बैठने की जगह दे दो
ले दे के घुस पाया हूँ मुझे निकलने के लिये जगह दे दो
भीड मे मै दबा हूँ सास लेने के लिये तो जगह दो
मै तो सास लेने का प्रयाश कर रहा हूँ
तुम कितना धक्का दे रहो हो
मै भीड मे दबा हूँ सास लेने के लिये तो जगह दे दो
भेड बकरियो की तरह आदमियो को बस मे भर डाले हो
ये समधी जात भाई मेरी लडकी के लिये
लडका भले तुम ना दो पर मुझे सीट तो दे दो
बस मे खडा यह लडका मिर्च का भजिया खाया है,
इसका पेट खराब है, इसका कोई भरोसा नही है,
दौड कर जावो, जल्दी इसे दवा तो दे दो
रामेश्वर वैष्णव