'पत्रकारिता की दुनिया में 25 वर्ष से अधिक समय गुजार लेने के बाद मेरे सामने भी एक सवाल उठा कि जिंदगी के इस मोड़ पर आ कर ऐसा क्या रचनात्मक किया जाय जो जिंदा रहने के लिए आवश्यक तो हो ही, साथ ही कुछ मन माफिक काम भी हो जाए। कई वर्षों से एक सपना मन के किसी कोने में दफन था, उसे पूरा करने की हिम्मत अब जाकर आ पाई है। यह हिम्मत दी है मेरे उन शुभचिंतकों ने जो मेरे इस सपने में भागीदार रहे हैं और यह कहते हुए बढ़ावा देते रहे हैं कि दृढ़ निश्चय और सच्ची लगन हो तो सफलता अवश्य मिलती है।'
यह उदंती डाट काम के संपादक, प्रकाशक व मुद्रक डॉ. रत्ना वर्मा के अंतरमन से निकले शव्द हैं जिन्हें रूपांतरित करने के लिए उन्होंनें उदंती डाट काम के आनलाईन और प्रिंट प्रकाशन का निर्णय लिया और अपने स्वप्नों को साकार करते हुए विगत दिनों प्रदेश के मुख्य मंत्री डॉ. रमन सिंह के करकमलों इस पत्रिका के प्रिंट वर्जन का विमोचन करवाया ।
डॉ. रत्ना वर्मा जी के इस कार्य को आनलाईन ब्लाग प्लेटफार्म देनें हेतु हमने सहयोग किया और आरंभिक तौर पर इसे www.udanti.com पर होस्ट कर पब्लिश कर दिया । प्रदेश की राजधानी में इस संबंध में आज समाचार प्रकाशित भी हुए हैं, हम ब्लागर्स साथियों के लिए इस पत्रिका की लिंक व विषयक्रम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं :-
अंक 1, अगस्त 2008
अनकही :
संपादक की कलम से
पत्रिकायें नियमित अंतराल के बाद हर बार एक नया अंक प्रस्तुत करती हुई प्रवाहमान रहती है अत: पत्रिकाओं को रचनात्मक विचारों की नदी कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी आगे पढे
कृषि /छत्तीसगढ :
खुशहाली के इंतजार में धान का कटोरा - चंद्रशेखर साहू
पर्यटन / नीति :
देश के पर्यटन नक्शे पर छत्तीसगढ कहां है ? - विनोद साव
उदंती :
खूबसूरत गोडेना फॉल - संतोष साव
इंटरनेट / सर्फिंग :
आभासी दुनियां के दीवाने ब्लागर्स - संजीव तिवारी
सेवा /स्वर्ण जयंती वर्ष :
सृजन का पर्याय भिलाई महिला समाज - ललित कुमार
इतिहास से / खजाना :
ओ मेरे सोना रे, सोना रे . . . - प्रताप सिंह राठौर
बस्तर / जीवन शैली :
गोंड जनजाति का विश्वविद्यालय घोटुल - हरिहर वैष्णव
छोटे परदे की टीआरपी बढाते बडे सितारे - डॉ. महेश परिमल
संस्मरण / बचपन के दिन :
सॉंस सॉंस में बसा देहरादून - सूरज प्रकाश
मन की गांठ / आदत :
कृपया क्षमा कीजिए - लोकेन्द्र सिंह कोट