साथ ही यह भी बतावें कि क्या हम इसे इसके प्राकृतिक वातावरण में पुन: छोड़ सकेंगें या इसे इसी तरह अपने 'कोला बारी' में शरण देना पड़ेगा, किन्तु यदि यह अपने प्रकृतिक वातावरण में नहीं गया तो कालोनी में कुत्ते व बिल्लियां इसे मार डालेंगीं। साथ ही यह मनुष्य से अब इतना घुल मिल गया है कि मनुष्य से डरता नहीं ऐसे में यदि यह किसी शरारती व्यक्ति के पास प्यार से भी आयेगा तो वह उसे नुकसान पहुचायेगा और यह चुपचाप शरद कोकास जी की कविता में लिखे भाग्य सा सब स्वीकारता जायेगा -
कोयल चुप है
गाँव की अमराई में कूकती है कोयल
चुप हो जाती है अचानक कूकते हुए
कोयल की चुप्पी में आती है सुनाई
बंजर खेतों की मिट्टी की सूखी सरसराहट
किसी किसान की आखरी चीख
खलिहानों के खालीपन का सन्नाटा
चरागाहों के पीलेपन का बेबस उजाड़
बहुत देर की नहीं है यह चुप्पी फिर भी
इसमें किसी मज़दूर के अपमान का सूनापन है
एक आवाज़ है यातना की
घुटन है इतिहास की गुफाओं से आती हुई
पेड़ के नीचे बैठा है एक बच्चा
कोरी स्लेट पर लिखते हुए
आम का “ आ “
वह जानता है
अभी कुछ देर में उसका लिखा मिटा दिया जायेगा
उसके हाथों से
जो भाग्य के लिखे को अमिट समझता है।
- शरद कोकास
अपडेट्स :
इस पोस्ट के बाद फोन, टिप्पणियों एवं मेल से प्राप्त अनुमानों के अनुसार चर्चित लेखक अभय तिवारी जी का कहना है कि यह महोक है। विज्ञान लेखक अरविन्द मिश्रा जी का कहना है कि यह ब्राहिनी काईट - खेमकरी है, चर्चा में जो लक्षण मैंनें जो इस पक्षी के अरविन्द जी को बताये उसके अनुसार यह बाज प्रजाति के पक्षी ब्राहिनी काईट - खेमकरी से मिलते हैं। बांधवगण के प्रकृति प्रेमी, बाघ प्रेमी, वाईल्ड लाईफ फोटोग्राफर सत्येन्द्र तिवारी जी का कहना है कि यह कोकल है और यह अभी बाल्य-किशोरावस्था में है, इसके आंखों का रंग उम्र के साथ लाल हो जायेगी। प्ररातत्वविद व छत्तीसगढ़ के संस्कृति के चितेरे बड़े भाई राहुल सिंह जी का कहना है कि यह महोक (ग्रेटर कोकल) बन कुकरा है। ललित शर्मा जी के आम के पेड़ में भी यह पक्षी है पर वे इसका नाम नहीं जानते, वे चाहते हैं कि इस विमर्श से उन्हें भी इसके संबंध में जानकारी मिलेगी। अब हम नेट पर उपलब्ध महोक के कुछ लिंक व फोटो यहां लगा रहे हैं आप भी देखें -
वीकि में उपलब्ध पेज ग्रेटर कोकल. चित्र - बर्डिंग डॉट इन में ग्रेटर कोकल.
कोयल चुप है
गाँव की अमराई में कूकती है कोयल
चुप हो जाती है अचानक कूकते हुए
कोयल की चुप्पी में आती है सुनाई
बंजर खेतों की मिट्टी की सूखी सरसराहट
किसी किसान की आखरी चीख
खलिहानों के खालीपन का सन्नाटा
चरागाहों के पीलेपन का बेबस उजाड़
बहुत देर की नहीं है यह चुप्पी फिर भी
इसमें किसी मज़दूर के अपमान का सूनापन है
एक आवाज़ है यातना की
घुटन है इतिहास की गुफाओं से आती हुई
पेड़ के नीचे बैठा है एक बच्चा
कोरी स्लेट पर लिखते हुए
आम का “ आ “
वह जानता है
अभी कुछ देर में उसका लिखा मिटा दिया जायेगा
उसके हाथों से
जो भाग्य के लिखे को अमिट समझता है।
- शरद कोकास
अपडेट्स :
इस पोस्ट के बाद फोन, टिप्पणियों एवं मेल से प्राप्त अनुमानों के अनुसार चर्चित लेखक अभय तिवारी जी का कहना है कि यह महोक है। विज्ञान लेखक अरविन्द मिश्रा जी का कहना है कि यह ब्राहिनी काईट - खेमकरी है, चर्चा में जो लक्षण मैंनें जो इस पक्षी के अरविन्द जी को बताये उसके अनुसार यह बाज प्रजाति के पक्षी ब्राहिनी काईट - खेमकरी से मिलते हैं। बांधवगण के प्रकृति प्रेमी, बाघ प्रेमी, वाईल्ड लाईफ फोटोग्राफर सत्येन्द्र तिवारी जी का कहना है कि यह कोकल है और यह अभी बाल्य-किशोरावस्था में है, इसके आंखों का रंग उम्र के साथ लाल हो जायेगी। प्ररातत्वविद व छत्तीसगढ़ के संस्कृति के चितेरे बड़े भाई राहुल सिंह जी का कहना है कि यह महोक (ग्रेटर कोकल) बन कुकरा है। ललित शर्मा जी के आम के पेड़ में भी यह पक्षी है पर वे इसका नाम नहीं जानते, वे चाहते हैं कि इस विमर्श से उन्हें भी इसके संबंध में जानकारी मिलेगी। अब हम नेट पर उपलब्ध महोक के कुछ लिंक व फोटो यहां लगा रहे हैं आप भी देखें -
वीकि में उपलब्ध पेज ग्रेटर कोकल. चित्र - बर्डिंग डॉट इन में ग्रेटर कोकल.
Brahminy Starling |
Greater Coucal |
Brahminy Kite |
[youtube http://www.youtube.com/watch?v=8BZ5Clbg7jc?hl=en&fs=1]
[youtube http://www.youtube.com/watch?v=4xO341E3cBY?hl=en&fs=1] [youtube http://www.youtube.com/watch?v=rWyE41oir6I?hl=en&fs=1]