छ: दिन और एक सीएमएस वेब साईट

विगत दिनों ब्‍लॉगर के द्वारा कुछ सुविधाओं को बंद करने एवं फीड संबंधी समस्‍याओं को देखते हुए, हमने ब्‍लॉगर में होस्‍ट निजी डोमेन की छत्‍तीसगढ़ी भाषा की पत्रिका गुरतुर गोठ को निजी होस्टिंग में ले जाने का फैसला लिया। सीएमएस आधारित अनेकों पोर्टलों को देखते और वेब/पोर्टल होस्टिंग दरों की तुलना करने के बाद हमनें फैसला किया कि ज्ञान दर्पण वाले रतन सिंह शेखावत जी द्वारा उपलब्‍ध वेब होस्टिंग सेवाओं का लाभ लिया जाए। वे4होस्‍ट की होस्टिंग सुपविधा के चयन के पीछे हमारा मुख्‍य उद्देश्‍य यह था कि रतन सिंह जी से मोबाईल और मेल से सतत संपर्क हो सकेगा। 



ललित शर्मा जी से भी उनके वेब साईटों के संबंध में चर्चा हुई तो पता चला कि रतन सिंह जी की सुविधायें वे भी ले रहे हैं। वे अपने ललित कला एवं न्‍यूज पोर्टल के तकनीक का सारा दायित्‍व रतन सिंह जी को देकर आनंदपूर्वक पोस्‍टों व टिप्‍पणियों में व्‍यस्‍त हैं। हम भी वे4होस्‍ट के एक्‍सरसाईज में जुट गए। शुरूवाती दौर में डोमेन फारवर्डिंग, एलियाज व सीनेम आदि के लिए रतनसिंह जी से सहायता लेना पड़ा क्‍योंकि हमारा डोमेन रेडिफ से पंजीकृत था और फारवर्डिंग के लिए हम जोनएडिट की मुफ्त सेवा का उपभोग कर रहे थे। रतनसिंह जी नें डोमेन सेटकर थीम भी अपलोड कर दिया पर मेरे प्रयास के बावजूद वह थीम ढंग से सेट नहीं हो पाया। फिर तीन-चार अलग-अलग थीमों पर काम करते हुए हमने अपने पसंद का थीम सेट कर लिया।

20 जुलाई से 26 जुलाई सुबह तक हमारे पास जो भी अतिरिक्‍त समय था उसे सीपेनल-वर्डप्रेस-सीएसएस-पीएचपी-कोडेक्‍स-प्‍लगिंग-विजेटों-सीएमएस-जावा को समझने में लगाया। इस बीच बार-बार वही-वही कार्य को दुहराना पड़ा, किन्‍तु इंटरनेट सर्च के प्रयोगों नें मुझे पल-पल में सहयोग किया। इंटरनेट में यदि आप सर्च सुविधाओं का सही उपयोग करते हैं तो आपके हर सवालों का जवाब यहॉं मिल जाता है। हमारे पास भाषा की समस्‍या है किन्‍तु तकनीकि आलेख/सहायता में भाषा कोई बड़ी बाधा नहीं होती। हमने देखा कि वेब तकनीक के ढ़ेरों वीडियो ट्यूटोरियल भरे पड़े हैं नेट पर जिनके सहारे सामान्‍य तकनीक जानकार भी अपना ब्‍लॉग, पोर्टल व वेब साईट बना कर होस्‍ट कर सकता है और उसे अपनी कल्‍पनाओं का रूप दे सकता है।

इन छ: दिनों में किए गए प्रयोगों के बाद मैं इस निष्‍कर्ष पर पहुचा कि यदि आपको सीएमएस आधारित निरंतर अपडेट होने वाले किसी पोर्टल की आवश्‍यकता है तो आप स्‍वयं प्रयास करने के बजाए किसी प्रोफेशनल को कार्य करने देवें। क्‍योंकि आप तकनीक को सीखने, उसे प्रयोग करने के कार्यों में इतने व्‍यस्‍त हो जायेंगें कि आप कोई लेखकीय सृजन नहीं कर पायेंगें। 

रतन सिंह शेखावत जी और वे4होस्‍ट को धन्‍यवाद, आप मेरा यह प्रयास देखें एवं सुझाव देवें -


इस चित्र को क्लिक कर गुरतुर गोठ में विजिट करें

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छत्‍तीसगढ़ में शिवनाथ नदी के किनारे बसे एक छोटे से गॉंव में जन्‍म, उच्‍चतर माध्‍यमिक स्‍तर तक की पढ़ाई गॉंव से सात किलोमीटर दूर सिमगा में, बेमेतरा से 1986 में वाणिज्‍य स्‍नातक एवं दुर्ग से 1988 में वाणिज्‍य स्‍नातकोत्‍तर. प्रबंधन में डिप्‍लोमा एवं विधि स्‍नातक, हिन्‍दी में स्‍नातकोत्‍तर की पढ़ाई स्‍टील सिटी में निजी क्षेत्रों में रोजगार करते हुए अनायास हुई. अब पेशे से विधिक सलाहकार हूँ. व्‍यक्तित्‍व से ठेठ छत्‍तीसगढि़या, देश-प्रदेश की वर्तमान व्‍यवस्‍था से लगभग असंतुष्‍ट, मंच और माईक से भकुवा जाने में माहिर.

गॉंव में नदी, खेत, बगीचा, गुड़ी और खलिहानों में धमाचौकड़ी के साथ ही खदर के कुरिया में, कंडिल की रौशनी में सारिका और हंस से मेरी मॉं नें साक्षात्‍कार कराया. तब से लेखन के क्षेत्र में जो साहित्‍य के रूप में प्रतिष्ठित है उन हर्फों को पढ़नें में रूचि है. पढ़ते पढ़ते कुछ लिखना भी हो जाता है, गूगल बाबा की किरपा से 2007 से तथाकथित रूप से ब्‍लॉगर हैं जिसे साधने का प्रयास है यह ...